a इतिहास विभाग, महात्मा गाँधी महाविद्यालय, सुंदरपुर, दरभंगा
Received: 02-06-2024, Revised: 22-06-2024, Accepted: 09-07-2024, Available online: 30-11-2024
हिन्दी की दुनिया सैद्धांतिकी का युद्ध मैदान है, विचार-विर्मश, से लेकर भाषा और विचार तक हम सैद्धांतिकी का इस्तेमाल बजाय परिघटनाओं को समझने के लिए उनकी समझ पर कोहरा डालने के लिए अधिक करते हैं । ऐसे में स्वाभाविक है कि हम पर जब नई घटनाएँ होती हैं तो हम न तो उनके लिए तैयार होते हैं न ही हमारे पास उन्हें समझने की समझ पहले से मौजूद रहते हैं । हालत कुछ-कुछ ऐसी हो जाती है जैसी तब होती है जब हमें घर में किसी बिजली के प्लग को बदलने की ज़रूरत आन पड़े और हमें औजार न मिले, ऐसी हालत में यह किया जाता है कि रसोई घर से चाकू लाया जाता है और उससे औचार का काम लिया जाता है, हिंदी की दुनिया भी लगभग ऐसा ही है ।
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कुशवाहा, रामानेक (2024). आभासी पटल पर हिन्दी भाषा का स्वरूप . International Journal of Basic & Applied Science Research (IJBASR), 11 (3), 42-47