a राजनीतिक विज्ञान–विभाग महात्मागाँधी महाविद्यालय, सुंदरपुर, दरभंगा
Received: 01-07-2024, Revised: 20-07-2024, Accepted: 10-08-2024, Available online: 30-11-2024
चुनाव लोकतंत्र का आधार है। लोकतंत्र में चुनाव के माध्यम से ही बिना हिंसा किए सत्ता का परिवर्तन होता हैं। स्वस्थ और प्रगतिशील लोकतंत्र में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अधिकार वयस्क मताधिकार होता है। भारत जैसे लोकतंत्र, जिसने विश्व के समक्ष लोकतंत्र के कसौटी पर स्वयं को एक आदर्शी मॉडल के रूप में अपनी छवि को प्रस्तुत किया है। भारत की इसी छवि को और निखारने के लिए आवश्यक है कि मतदान के अधिकार का अधिकाधिक लोगों द्वारा सही एंव गुणवत्ता पूर्ण ढंग से प्रयोग किया जाए। क्योंकि यह अधिकार जनता को होता है कि वह अपने लिए एक ऐसी सरकार चुने जो उनके अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं सरक्षण प्रदान करते हुए उनकी अपेक्षाओं को पूरा कर सके। ताकि ऐसा वातावरण तैयार हो जाए जिसमें उनके व्यक्तित्व का चहुमुखी विकास हो सके। भारत में हो चुके 17 आम चुनावों तथा तीन सौ से भी अधिक राज्य विधान सभाओं के चुनावों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय लोकतंत्र की नींव मजबूत हैं। भारत में संसदीय प्रतिनिधात्मक लोकतंत्र के रूप में चुनाव की एक व्यवस्थित व्यवस्था है जिसे निष्पक्ष, और पारदर्शी तरीके से सम्पन्न कराने के लिए निर्देशन, नियंत्रण, की जिम्मेदारी स्वतंत्र, संवैधानिक निकाय निर्वाचन आयोग को दिया गया है। चुनाव आयोग के माध्यम से संविधान के शिल्पकारों ने मतदान सहित तमाम अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों तथा नीतियों के नियामकों के निर्धारण से लेकर क्रियान्वयन तक के सभी स्तरों पर अधिकाधिक जन भागीदारी सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई जिसमे प्रत्येक चुनाव और उनके परिणामों से सामान्यतः नए अनुभवों को प्राप्त किया जाता है। तमाम साधनों, संसाधनों तथा जन जागरूकता में वृद्धि के वावजूद हम इस बात को पूर्ण रूप से नहीं नकार सकते कि आजादी मिलने के सात दशक बाद मतदान का प्रतिशत सन्तोषजनक ग्राफ तक नहीं पहुंच सका हैं नगरों, महानगरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि हुई है। लेकिन शिक्षित और जागरूक लोगों की मतदान के प्रति उपेक्षा भारतीय लोकतंत्र के लिए गम्भीर मामला कहा जा सकता है। आजादी के बाद से चुनाव प्रक्रिया का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि हमारे यहां भ्रष्टाचार किस हद तक जड़ों से व्याप्त है आपराधिक तत्वों का राजनीति में कद ऊंचा हो रहा है। धनबल, बाहुबल, हिंसा सम्प्रादायिकता राजनीति जोड़, जैसे विखण्डनकारी तत्वों ने उभरकर सामने आ रहे है। भारतीय राजनीति मे पनप आयी विसंगतियां को दूर करने के लिए इनकी जड़ पर प्रहार किया जाना परम आवश्यक हैं अर्थात हमे चुनाव सुधारों के माध्यम इन समस्याओं को जड़ से समूल नष्ट करना होगा। ससमय निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव सुधार के लिए कभी तीव्र गति से कभी मंद गति से प्रयास किये जाते रहे है। मुख्य चुनाव आयुक्त टी०एन०मेनन के कार्यकाल से चुनाव सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए जिन्होंने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता एवं कार्य अधिकारों का विस्तार किया बल्कि चुनावों के संचालन, क्रियान्वयन, राजनीतिक दलों को अनुशासित करने में उपयोगी और सार्थक भूमिका निरवहन किए हैं।
Keywords: लोकतंत्र, चुनाव, अधिकार,चुनाव आयोग,संविधान
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शर्मा , रामनाथ (2023). भारतीय लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया और चुनाव सुधार . International Journal of Basic & Applied Science Research (IJBASR), 10 (2), 1-11